मशहूर मलयालम साहित्यकार एमटी वासुदेवन नायर का 91 साल की उम्र में देहांत हो गया।

पिछले सप्ताह अस्पताल में भर्ती होने के बाद से ही वे हृदय रोग विशेषज्ञों और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों सहित विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक टीम की देखरेख में थे।

कोझिकोड
प्रसिद्ध लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता एमटी वासुदेवन नायर का निधन हो गया है, जिनका हृदय गति रुकने के बाद यहां एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। अस्पताल के सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

एमटी वासुदेवन नायर 91 वर्ष के थे।

अस्पताल के एक सूत्र ने पीटीआई को सूचित किया कि एमटी का निधन हो गया है, हालांकि उन्होंने इस बारे में कोई विस्तृत जानकारी साझा नहीं की।

पिछले सप्ताह अस्पताल में भर्ती होने के बाद से ही वे हृदय रोग विशेषज्ञों और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञों सहित विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक टीम की देखरेख में थे।

एमटी के नाम से लोकप्रिय, उन्होंने सात दशकों के करियर में नौ उपन्यास, 19 लघु कथा संग्रह, छह फिल्मों का निर्देशन लगभग 54 पटकथाएँ लिखीं और निबंधों और संस्मरणों के कई संग्रह प्रकाशित किए।

उनके उपन्यास नालुकेट्टू (पैतृक घर) ने उन्हें एक साहित्यिक प्रतीक के रूप में स्थापित किया और इसे मलयालम साहित्य में एक क्लासिक माना जाता है। उन्होंने असुरविथु, मंजू और कालम सहित कई प्रशंसित रचनाएँ भी लिखीं।

एमटी की साहित्यिक उपलब्धियों ने उन्हें 1995 में भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के साथ-साथ केंद्र साहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, वायलर पुरस्कार, वल्लथोल पुरस्कार, एज़ुथाचन पुरस्कार, मातृभूमि साहित्य पुरस्कार और ओ एन वी साहित्य पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार दिलाए।

एमटी का निधन हो चुका है। 2005 में उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

2013 में, एमटी को मलयालम सिनेमा में उनके आजीवन योगदान के लिए प्रतिष्ठित जे सी डैनियल पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसके बाद, 2022 में, उन्हें केरल सरकार द्वारा दिए जाने वाले सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘केरल ज्योति’ से नवाजा गया।

एमटी ने लंबे समय तक मातृभूमि साप्ताहिक के संपादक के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।

उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि मलयालम साहित्य को विश्व साहित्य में सबसे आगे लाने वाली प्रतिभा को हमने एम टी वासुदेवन नायर के निधन से खो दिया है।

विजयन ने अपने बयान में कहा, “यह केवल केरल के लिए ही नहीं, बल्कि मलयालम साहित्य जगत के लिए भी एक ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई असंभव है।

विजयन ने एम टी को लघुकथा, उपन्यास, पटकथा लेखन, फिल्म निर्देशन, पत्रकारिता और सांस्कृतिक नेतृत्व के क्षेत्र में एक अद्वितीय व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिये केरल के जीवन की गहराई, सौंदर्य और विविधताओं को उजागर किया।

उन्होंने कहा, वे वल्लुवनाडु की सांस्कृतिक परंपराओं में खुद को मजबूती से स्थापित करते हुए वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध हुए, जो लोगों के जीवन और लोकाचार को दर्शाता है। ऐसा करके, एम टी ने न केवल केरलवासियों के व्यक्तिगत मन को बल्कि अपने लेखन के माध्यम से केरल के लोगों की सामूहिक चेतना को भी प्रभावित किया।” राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि वह एम टी के सम्मान में 26 और 27 दिसंबर को आधिकारिक शोक मनाएगी।

मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि 26 दिसंबर को आयोजित होने वाली कैबिनेट बैठक और अन्य सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए जाएं।

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